Wednesday, September 20, 2017

क्रूरता और घरेलू हिंसा के मामले में निर्णय लेने में देरी ना करें

चेतना ने भोपाल, मध्य प्रदेश से मध्य प्रदेश राज्य की समस्या भेजी है कि-

नमस्ते। मेरा नाम चेतना हैं।मेरी शादी २२-२-२०१६ को हुई।शादी के दिन से ही मुझे दहेज को लेकर सास,ननंद ताने मारने और मुझे परेशान करने लगे।मकान बनाने के लिए 25,00,000 की मांग करने लगे,मायके से अपना हिस्सा लेने को लेकर मारने पीटने लगे।मेरे बार बार मना करने पर, ननंद ने मुझे मार कर घर से निकाल दिया,पति के गलत संबंध है दूसरी लड़की से, इसलिए पति भी अपने परिवार का साथ देते हैं।मैं तीन महीने मायके में रही,पर मुझे कोई लेने नहीं आया।फिर मेरे पिता जी मुझे ससुराल छोड़ गये,पर मुझे ससुराल वालों ने एक दिन भी अच्छे नहीं रखा। मैंने 498,125 और घरेलू हिंसा आदि कोर्ट केस किया है।पर मैं उनके साथ रहना चाहती हूं,और वो रखना नहीं चाहते।मेरा सवाल है क्या अब कोर्ट मुझे उनके साथ रहने की अनुमति देगा? और अब मुझे क्या करना चाहिए?

समाधान- आपने अपनी समस्‍या का जो जिक्र किया है उसमें आपने दो सवाल पूछे हैं-

पहले सवाल का उत्‍तर ये है कि आपने पहले ही घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत कोर्ट में आवेदन कर रखा है और इस अधिनियम की धारा 17 में यह प्रावधान है कि वह आपको साझी गृहस्‍थी में निवास करने का अधिकार देती है अर्थात जहां आपसे विवाहित व्‍यक्ति निवास करता है वहां आपको भी निवास का अधिकार प्राप्‍त है और धारा 19 के अंतर्गत इसके लिए आवेदन करने पर न्‍यायालय आपके पति की गृहस्‍थी में आपके निवास करने का आदेश पारित कर सकता है। परंतु इस प्रकार के आदेश से आपको अपने पति के साथ निवास करने का अधिकार तो मिल सकता है पर आपकी स्थिति एक कब्‍जाधारी जैसी होगी जिसे भवन के किसी हिस्‍से में निवास का अधिकार है लेकिन आपके पति और ससुरालीजन आपसे किसी प्रकार की बातचीत या व्‍यवहार ना रखें तो इसके लिए उन्‍हें बाध्‍य नहीं किया जा सकता। जैसा कि आपने बताया है कि आप उनके साथ रहना चाहती हैं तो इसका अर्थ है कि आप उनके साथ एक परिवार के सदस्‍य की भांति रहना चाहेंगी ना कि किसी कमरे में अलग-थलग किसी बाहरी व्‍यक्ति के तौर पर जिसके पास कमरे का कब्‍जा तो हो पर भवन में निवासरत अन्‍य व्‍यक्तियों से उसका कोई संबंध ना हो। 

दूसरा सवाल है कि आपको क्‍या करना चाहिए। अच्‍छी बात है कि आप साथ रहना चाहती हैं ये सब झेलने के बावजूद तो इसके लिए आपको सबसे पहले अपने पति से बात करनी चाहिए। यदि वे बात करने के लिए तैयार होते हैं और आपकी बात से सहमत होते हैं तो आगे का रास्‍ता खुल सकता है। आपका कहना है कि उनके किसी से संबंध हैं तो ये भी हो सकता है कि ये बात सुनी-सुनाई या निराधार भी हो सकती है और यदि आपको लगता है कि आपकी जानकारी पुख्‍ता है तो इसके बारे में भी पति से बात कर सकती हैं। सबसे बड़ी बात है कि यदि इस समस्‍या को आपको सुलझाना है तो आपको सीधे बात करनी होगी ना कि कोर्ट कचहरी के माध्‍यम से। हां यदि उसके बावजूद कोई हल ना निकले तब ऐसी स्थिति में कानूनी विकल्‍प का सहारा लेना ही मजबूरी बन जाता है और यदि किसी रिश्‍ते में इस तरह की परिस्थितियां निर्मित हो गई हैं कि अब सुधार की कोई गुंजाइश नहीं बची है तो फिर आपको अपने भविष्‍य के बारे में सोचते हुए जल्‍दी ही निर्णय लेना चाहिए क्‍योंकि एक तरफ आप उनके साथ जाने को तैयार हैं और वे बिलकुल इसके लिए तैयार नहीं हों और लंबे समय तक कोई नतीजा ना निकले तब तक काफी देर हो चुकी होती है। यदि आप अपने पति से संबंध विच्‍छेद करना चाहें तो आपके पास आधार भी हैं-क्रूरता एवं आपके अलावा किसी अन्‍य के साथ शारीरिक संबंध रखना। आप अभी युवा हैं और समय बहुत कीमती है जल्‍दी इस मामले में बात कर कोई स्‍टैंड आपको लेना चाहिए। कभी कभी एक रास्‍ता बंद हो जाने पर उस पर चलने का प्रयास आपको कहीं नहीं ले जाता आपको उसे छोड़ना ही पड़ता है।

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